Name- Ajay Pratap Singh
Designation – Asst. Professor , Department of Social work, CSJM University, Kanpur
ProfessorBadge no. – 71182958
परिचय –
अजय प्रताप सिंह जी कानपुर विश्वविद्यालय में पिछले 8 – 9 सालों से सामाजिक विषयों का अध्यापन कार्य कर रहे हैं । अजय जी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की । इन्होंने वृद्धों के जीवन से जुड़ी समस्याओं पर रिसर्च कर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की । अजय जी कानपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर होने के साथ ही समाज में नवप्रवर्तक का कार्य करने की ओर भी अग्रसित हैं । अपने कार्यों द्वारा अजय जी समाज को लाभ एवं विकास की एक राह प्रदान कराने की इच्छा रखते हैं ।
अनुभव एवं कार्य -
अजय प्रताप जी ने अपने अनुभव के आधार पर दो पुस्तकों की रचना की । जिनमे से पहली समाजकार्य और दूसरी सामाजिक समस्या के नाम से प्रकाशित हुई । अपनी पढ़ाई के आधार पर अजय जी विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने का कार्य करते हैं ।
शिक्षण विभाग में आने वाले नए अध्यापकों को उनके विभाग की बेहतर जानकारी प्रदान करने का कार्य अजय जी करते हैं । अपने विद्यार्थियों के अधिक से अधिक एवं अच्छे से अच्छे प्लेसमेन्ट के विषय मे प्रयासरत रहते हैं ।
मार्ग में आने वाली कठिनाइयां -
अजय सिंह जी को पीएचडी में की विभिन्न रिसर्चस के दौरान अजय जी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा । किसी भी परिवार के परेशान
बुजुर्ग से बात करने के दौरान परिवार को समझाना कठिन होता है । परिवार वाले घर की बात
बाहर पहुचने के डर से कई बाधाएं उत्पन्न करते हैं । ऐसे में सरकार को ऐसे कानून बनाने
चाहिए जिससे परिवार के वृद्ध मुखिया को वृद्धाश्रम में न रहना पड़े । बुजुर्गों को कोई
उन्ही के घर से न निकाल सके ।
रिक्शा चालक के बारे में रिसर्च के दौरान अजय जी को पुलिस एवं प्रसाशन द्वारा कई रुकावटें पैदा
करा दी जाती हैं जिससे निपटने के लिए काफ़ी समय देकर समझने का कार्य करना पड़ता है ।
जो रिक्शा चालक अपने शहर , घर , परिवार छोड़ कर आते हैं। उन्हें रहने
, खाने , नित्यक्रियाओं के कार्यों में खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
कुष्ठ रोगियों के विषय मे समाज की सोच बहुत विकृत है । ऐसे व्यक्तियों से समाज के लोग बात करना तो दूर देखना भी नहीं चाहते । ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानने के लिए अस्पताल समिति भी इजाजत नहीं देती परंतु ऐसे लोगों से बात करने के लिए चतुराई और समझ की आवश्यकता होती है । किस प्रकार से कहाँ इन लोगों से इनकी वास्तविक समस्याओं के बारे में बात करनी है ये जानना जरूरी होता है ।
भविष्य की परियोजना –
अजय जी का मानना है, कि सरकार को ऐसी परियोजना एवं कानून
बनाने की ओर ध्यान चाहिए कि बुढ़ापे की दहलीज पर जाते हुए व्यक्ति को किसी भी प्रकार
की हिंसा का सामना न करना पड़े ।
उच्च शिक्षा में आने वाली अनियमितताओं को दूर करने का कार्य
किया जाना चाहिये । शिक्षा को केवल जीविकोपार्जन का जरिया न माना जाए । भविष्य में
होने वाली जनगणनाओं के सही आंकड़े निकाले जाएं । जो व्यक्ति सच में गरीब हैं उन्हें
जीविका का अच्छा जरिया दिलाया जाए । तभी विकास हकीकत की जमीन पर साकार होगा ।
समाज सुधार की बात-
सरकार की सामाजिक व्यवस्था से जुड़ी पॉलिसी में समय- समय पर नए एवं सुगम सुधार अवश्य होने चाहिए । अजय जी के अनुसार विकास एक चक्र
है जो रेखीय एवं चक्रीय रूप से होता है । यह क्रम सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए
सभी की जागरूकता होना आवश्यक है ।
सरकार की पॉलिसी उच्च स्तर से निम्न स्तर की ओर होती है जिससे वास्तव में पीड़ित व्यक्ति को लाभ प्राप्त नहीं होता । पॉलिसी का क्रियान्वयन निम्न से उच्च स्तर की ओर होना चाहिए ताकि पीड़ित को सर्वप्रथम लाभ प्राप्त हो तब फाइलों में ये
डाटा एकत्र किया जाए । तब हम विकास को वास्तविक रूप से प्राप्त कर लेंगे ।